दो पहियों का खेल जिंदगी😊🚶🚶❤️❤️
दो पहियों का खेल जिँदगी एक सपनो का खजाना हैं जिसे हर कोई पाना चाहता हैं अपनी और दूसरों की खुशियों से सपनो की गुल्लक को भरना चाहता हैं थोड़ा ही सही पर रोज मुस्कुराना चाहता हैं खुद से ही बाते कर कर के दुनिया मैं आयाम बनाना चाहता हैं❤️✌️🙏📕📚✍️😘🚶🚵🚲
Friday, May 14, 2021
###परिवार और खुशियां❤️🌸🌱🌻🌺🍁
Saturday, April 24, 2021
##चलो आज हम मिलकर संयम का दामन पकड़ लेते हैं।❤️🌸🌱🌻🍁🌺🌼
Friday, April 23, 2021
#जिँदगी#❤️🌱🌻🍁🌼🌸
Sunday, March 14, 2021
#❤️🍁🌱ऐ सपने आज तू फिर से मुस्कुराने की हिम्मत कर ले।
Sunday, November 15, 2020
सुखी हो नाज न करो दुखी हो तो फिक्र न करो🌻😊✌️🌱🌺❤️🌼🍁🌱🌺
Friday, September 13, 2019
#चलो आज प्रयास करते हैं।🚶👣🐢🌱🕊️🌼⏲️⏳
चलो आज प्रयास करते हैं, अपनी जिँदगी को गुलजार करते हैं।
लगन से ही सही पर कुछ काम करते हैं, चलो आज फिर प्रयास करते हैं।
इस गरीबी को उस प्रयास से आजाद करते हैं, बूढ़ी माँ के सपनो को आज साकार करते हैं।
चलो आज प्रयास करते हैं।
चाँद की उस दक्षिणी सतह को अशोक चिन्ह से गुलजार करते हैं।
चलो आज फिर प्रयास करते हैं।
समाज के ऊँच-नीच से हटकर कुछ बात करते हैं।
पुरानी बातों को अब मॉफ करते हैं।
चलो आज प्रयास करते हैं।
बेजुबान जानवरो को अपने होने का एहसास करते हैं, इस झूठि दुनिया मैं सच्चाइयो को स्वीकार करते हैं।
चलो आज प्रयास करते,चलो आज प्रयास करते हैं।
#माँ❤️❤️😊
ऊँच-नीच न फर्क हैं, इसका चुपके से गम सह ले मर्म हैं, इसका।
नंगे पैरो से काँटो पर भी चल ले ,दुःख होने पर अपने अंदर समेट ले।
एक रोटी के चार हिस्से जो कर दे, अपने हिस्से की जगह जो पानी गटक ले।
ढंड पर जमीन पर जो सोले
बच्चो के सपनो के लिए जो मंगलसूत्र को भी तौल ले।
कान खिंचकर जो समझये ,इंसानियत की कीमत बतलाये।
ख़ुशियों को जो बटौर के लाये ,गम के अँधेरे को भी दूर भागये वो ममतामयि प्यारी मेरी माँ कहलाये, माँ कहलाये।
###परिवार और खुशियां❤️🌸🌱🌻🌺🍁
परिवार ही सब कुछ हैं... हिम्मत हैं... संबल हैं... ताकत हैं.. खुशि हैं.. ओर हर आपदा को जीतने का विश्वास हैं.. परिवार के साथ बीते वो जिँदगी है...
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चलो आज हम मिलकर संयम का दामन पकड़ लेते हैं। जहाँ कोई अपना हो न पराया हो बस खुशिया हो और खुशियों का साया हो गम के इस दौर में छोटी - छोटी ख़ु...
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परिवार ही सब कुछ हैं... हिम्मत हैं... संबल हैं... ताकत हैं.. खुशि हैं.. ओर हर आपदा को जीतने का विश्वास हैं.. परिवार के साथ बीते वो जिँदगी है...
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##कुछ बूँद भर तो लू अपनी प्यास कम कर तो लू बटौर लू धीरे-धीरे उसे नदी-तालाब कुँओं मे उतरकर कुछ पल छन तो लू ,कुछ बूँद भर तो लू कंकड़,पत्थर, ...