परिवार के साथ बीते वो जिँदगी हैं..
ओर परिवार के बिना बीते वो दिन उम्र
आओ क्यों न मिलकर फिर एक परिवार बना ले...
अपनो की जिँदगी को चारचांद लगा दे...
इस उम्मीद के पल मैं खुद को ही ऑक्सीजन का
रामबाड बना ले...
परिवार मैं रह के इंसान की सारी तकलीफे दूर होती...
बासी रोटी भी किसी पंच मेवों से कम नहीं होती हैं....
जहाँ दादा, दादी, नाना ,नानी का सुख न हो..
चाचा, मामा का टोक न हो वो परिवार ही क्या
जो रिश्ते को माफ कर जाने हक न हों...
आओ फिर मिलकर से परिवार बनाते हैं, उस आँगन
उस कमरे को फिर से खुशियों से सजाते हैं❤️🌸🌼🌱🌻
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