Saturday, July 27, 2019

वो थी ही नहीं जिँदगी मैं मेरी👣🚶🚶🕊️

वो थी ही नही जिँदगी मैं मेरे ओर मैं बस यही सोचता था।
की जिँदगी ही मेरी हैं, उनसे कभी भागते हुए कॉलेज के गेट मैं जाता था।
तो कभी बारिश मैं खड़ा होकर इंतज़ार कर जाता था।
खुद भूखा रह के अपनी पॉकेट मनी से उसे घुमाने के
लिए पैसे बचाता था।
और मैं यही सोचता था कि वो जिँदगी हैं,मेरी
ये समय ऐसा चलता ही गया मैं उसके पीछे चलता ही गया अपने सपनो को दवा कर खुद गुलाम बनता ही गया।
फिर एक दिन वो मुझसे कहती हैं,क्या है तेरे पास
तेरी इतनी सी नही हैं, औकात जो उढ़ा सके मेरे
ख़र्चे आज फिर क्या था।
छोड़ के चली गई वो थी ही नही जिँदगी मैं मेरे ओर
मैं यही सोचता था।कि जिँदगी हैं मेरी।👣👣🚶🚶🚶🕊️

###परिवार और खुशियां❤️🌸🌱🌻🌺🍁

परिवार ही सब कुछ हैं... हिम्मत हैं... संबल हैं... ताकत हैं.. खुशि हैं.. ओर हर आपदा को जीतने का विश्वास हैं.. परिवार के साथ बीते वो जिँदगी है...