आग कहो या राख कहो
मैं तो एक सितारा हूँ।
उड़ जाऊँगा हवा मैं कल
का एक गुब्बारा हूँ।
भागने को बेताब हूँ, लाँघने को दीवार तैयार हूँ।
इन छोटे-छोटे कदमो से ,मैं भी तो एक इंसान हूँ।
मत मारो कोख, मैं मत थोपो हालातों के बोझ
खिलने दो कली को, बन जाने दो खुशबू के फूल
गिरने दो जमी मैं, टप-टप वर्षा की बूंद
आग कहो या राख कहो
मैं तो एक सितारा हूँ।
उड़ जाऊँगा हवा मैं कल का एक गुब्बारा हूँ।🌼🌱🐢🚶👣🕊️